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Wednesday, May 21, 2014

एटीट्यूड बदलो, सफलता होगी कदमों में

जिंदगी में सफलता के लिए सही एटीट्यूड होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसके बिना आप चाहे कितने ही टेलेंटेड क्यों न हों, करियर में कामयाबी का वह शिखर नहीं छू सकते जिस शिखर तक आप सही नजरिया अपनाने के बाद पहुंच सकते हैं।


अब सवाल यह है कि सही एटीट्यूड किस तरह से अपनाया जाए? पहले तो अपनी किस्मत खुद बनाएं। अगर आप अपने करियर के दौरान यही सोचते रहेंगे कि कुछ अच्छा और दिलचस्प हो, तो आप इंतजार ही करते रह जाएंगे। इसलिए यही बेहतर है कि आगे बढ़ें और जिन चीजों के इंतजार में हैं उन्हें खुद कर डालें। अपने करियर के बारे में सकारात्मक नजरिया रखने से आप अपनी किस्मत को खुद दिशा देंगे।

नेपोलियन बोनापार्ट के शब्दकोष में असंभव नामक शब्द नहीं था। आप अपने करियर के संदर्भ में भी यह मान लें कि मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए। ध्यान रहे कि अगर आप यह सोचेंगे कि आप नहीं कर सकते तो आप सचमुच ही नहीं कर पाएंगे, लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि आप यह कर सकते हैं तो फिर मंजिल दूर नहीं।

इसलिए हमेशा अपने आप से यह कहते रहें कि मैं कर सकता हूं। कोई काम छोटा नहीं होता है। हर काम की अपनी अहमियत और मूल्य होता है। न जाने कब कौन-सा काम किसी की नजर में चढ़ जाए और आपकी पहचान बन जाए, इसलिए जो काम कर रहे हैं उसे दिलचस्पी और गर्व के साथ करें। अगर आप आलस्य और लापरवाही दिखाएंगे तो आपके बारे में लोगों का यही नजरिया बन जाएगा और हो सकता है कि लोग आपके बारे में गलत राय कायम कर लें।

किसी काम को छोटा न समझें। ध्यान रखें कार्यस्थल पर हर व्यक्ति महत्वपूर्ण होता है। यह सही है कि अपने कार्य में व्यक्ति को आक्रामक नहीं होना चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि अपने इर्द-गिर्द के लोगों के साथ व्यवहार में हमेशा स्पष्ट होना चाहिए।

जगाएं अपने अंदर के हीरो को..


फटा पोस्टर निकला हीरो और हीरो ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और अपने अलग गुणों के कारण वह भीड़ में अलग ही नजर आता है और दुनिया उसके पीछे घूमती है। फिल्मों में यह देखना सभी को अच्छा लगता है। हीरो अच्छा ही होना चाहिए उसमें सभी अच्छे ही गुण होना चाहिए और बुराई पर अच्छाई की विजय होना ही चाहिए। 

हम सभी फिल्मों को इसी मानसिकता के साथ देखते है। कभी इसका कारण जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हम सभी भीतर से ऐसे ही बने रहते हैं। हमें बुराई पसंद नहीं हम अच्छाई का साथ देने में विश्वास रखते हैं। हीरो की तरह ही हम तेज गति से आगे बढ़ना भी चाहते हैं पर क्या कारण है कि फिल्म देखने के पश्चात हम कहानी और हीरो की खूब तारीफ जरुर करते हैं पर इससे प्राप्त संदेश को आत्मसात नहीं कर पाते।

हम सभी के भीतर हीरो के गुण होते हैं और सभी चाहते हैं कि सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए मेहनत करें और सफलता प्राप्त करें। अपने भीतर के हीरो को जागृत करने के लिए हम क्या करते हैं? क्या हम वाकई हीरो बनना चाहते हैं? जैसे कई प्रश्न मन में उमड़ना स्वाभाविक है। 

हीरो का मतलब यह नहीं कि हम भी फिल्मी हीरो की तरह अपनी बातें मनवाने के लिए मारधाड़ करने लगें। दरअसल हीरो एक प्रवृत्ति है जिसे समाज में अच्छी नजरों से देखा जाता है क्योंकि वह सत्य है वह असली है। करियर की डगर हो या फिर नौकरी की अगर हमनें सही समय पर अपने भीतर के हीरो को जागृत कर अपने गुणों को पहचान लिया तब सफलता प्राप्ति की दर ओर भी अच्छी हो सकती है।

हीरो के गुणों में सबसे महत्वपूर्ण है कि उसमें हिम्मत होती है। वह इसी हिम्मत के बल पर आगे बढ़ते जाता है और विपरीत परिस्थितियों का भी डटकर सामना करता है। कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनके समक्ष विपरीत परिस्थितियां जब आती है तब वे अपने सभी गुणों को एकत्रित कर किस प्रकार से सामना करें इस बात को लेकर विचार करते है। जबकि कुछ व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों के समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं और जो भी होगा देखा जाएगा। अब क्या कर सकते है? जैसे प्रश्न स्वयं से भी पूछते है और असफलता को खुद ही ओढ़ लेते हैं। 

वे अपने गुणों के बारे में जानते ही नहीं और केवल थोड़ी सी विपरीत परितस्थतियों में स्वयं के बुरे की कल्पना करना आरंभ कर देते हैं। व्यक्ति अगर हीरो की तरह अपने गुणों की पहचान कर उन्हें और विकसित करने का प्रयत्न करता है तब वह समय के अनुरुप अपने आप में बदलाव कर पाता है और परिस्थितियों से सामना भी कर पाता है। इस कार्य के लिए लगातार आत्मविश्लेषण करने की जरुरत होती है अपने आप को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं से देखना पड़ता है जिसके बाद हम यह समझ पाते है कि आखिर हमारे श्रेष्ठ गुण कौन से हैं। 

दोस्तों अगर हम अपने भीतर के हीरो को सामान्य परिस्थितियों में भी जागृत रखें तब विपरीत परिस्थितियों का हम हीरो की तरह सामना कर सकते हैं।

तभी बने काम, जब गणपति करे आराम...


किसी भी मांगलिक कार्य के पहले किस देवता का सर्वप्रथम पूजन हो, इसे लेकर देवताओं में गहरा मतभेद चल रहा था। कोई हल न सूझने पर वे प्रजापिता ब्रह्मा के पास पहुँचे। उनकी समस्या सुनकर ब्रह्माजी ने निर्णय दिया कि जो सारी पृथ्वी की परिक्रमा कर सबसे पहले उनके पास पहुँचेगा, वही प्रथम पूज्य का सम्मान पाएगा। इसके लिए सभी तैयार हो गए। 

नियत समय पर दौड़ शुरू हुई। सभी अपने-अपने वाहनों को तेजी से दौड़ाने लगे, ताकि पहला स्थान पा सकें, लेकिन गणेश अपनी जगह पर ही खड़े थे। उनके साथ बड़ी दिक्कत थी। एक तो उनका भारी-भरकमशरीर और छोटे-छोटे पैर। ऊपर से उनका वाहन चूहा। वह बेचारा कितना जोर लगाता? अपनी कमजोरियों के मद्देनजर वे जीतने का कोई दूसरा उपाय सोच रहे थे। 

अचानक वे कूदकर चूहे पर बैठे और कैलाश पर्वत पहुँचे। वहाँ उन्होंने शिव-पार्वती को एकसाथ बिठाकर उनकी सात बार परिक्रमा लगाई और सीधे ब्रह्मा के पास पहुँच गए। जब बाकी देवता वहाँ पहुँचे तो गणेश को देखकर उन्हें हैरानी हुई, तभी ब्रह्मा ने घोषणा की कि गणेश विजेता हैं। आज से सबसे पहले पूजा इनकी ही होगी। इस पर एक देवता बोला- गणेश कैसे जीत सकता है? 
  किसी भी मांगलिक कार्य के पहले किस देवता का सर्वप्रथम पूजन हो, इसे लेकर देवताओं में गहरा मतभेद चल रहा था। कोई हल न सूझने पर वे प्रजापिता ब्रह्मा के पास पहुँचे।      


इसने तो पृथ्वी की परिक्रमा की ही नहीं है। ब्रह्मा- गणेश ने पृथ्वी की ही नहीं, बल्कि समस्त ब्रह्मांड की सात बार परिक्रमा की है। ये पृथ्वी स्वरूपा माता और ब्रह्मांड के स्वरूप पिता का चक्कर लगाकर आए हैं। ब्रह्मा की बात सुनकर सभी देवताओं ने गणेश को प्रथम पूज्य मान लिया। 

दोस्तो, बुद्धि कौशल से व्यक्ति क्या नहीं पा सकता? फिर गणेशजी तो स्वयं बुद्धि के देवता हैं। वे तो इसका इस्तेमाल करेंगे ही। उन्होंने किया भी और इसी के बल पर वे प्रथम पूज्य बने। इसी तरह आप भी बुद्धि के बल पर सभी को पीछे छोड़ते हुए आगे निकल सकते हैं। वैसे गणेशजी का व्यक्तित्व गुणों की खान है। यदि आपने इन्हें जान-समझकर अपने अंदर उतार लिया तो फिर सफलता की दौड़ में आप भी कभी पीछे नहीं रहेंगे। उनकी तरह हर व्यक्ति को बड़े सिर का होना चाहिए।


पहला कदम तो बढ़ाएं



जिंदगी के सफर में हमें अपने आप को बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करना पड़ती है। अच्छा इंसान बनने से लेकर नौकरी पाना और नाम कमाने के लिए निश्चित रूप से मेहनत का दूसरा कोई विकल्प नहीं होता। परंतु क्या सभी लोग सफलता प्राप्त कर लेते हैं या जो मनचाही सफलता होती है उसे प्राप्त कर लेते हैं या उसके करीब भी पहुंच पाते हैं। 

हम अगर परिस्थितियों को समझें तब तक समय गुजर चुका होता है और कई वर्षों बाद हमें लगता है कि अगर आज वहीं परिस्थितियां हमारे सामने होती तब हम और भी अच्छा कर सकते थे। दरअसल मेहनत, समर्पण और समय दोनों की माँग करती है और बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ेगी। इस बात को सोच कर व्यक्ति पहला कदम ही नहीं उठाता और पीछे हट जाता है। 

पीछे हटने की आदत कई लोगों में रहती है और कई लोग किसी भी तरह की स्पर्धा से ही डरते हैं। वे प्रतिभा संपन्न होने के बावजूद केवल इस बात को लेकर पीछे हट जाते हैं कि उनके जैसे और भी लोग हैं और शायद वे स्पर्धा में अच्छा न कर पाएं और असफलता मिलने पर लोग क्या कहेंगे? इस डर के कारण वे अक्सर पीछे रह जाते हैं और अपने लिए एक ऐसी जगह की तलाश में रहते हैं, जहां के वे ही राजा हों और बाकी सभी उनकी सुनने वाले हों। 


ऐसे व्यक्ति समान प्रतिभा या प्रतिभाशाली लोगों से मिलने से भी कतराते हैं और स्वयं को एक ऐसे घेरे में बांध लेते हैं जहां पर उनसे कोई स्पर्धा न कर सके। कई बार हमें लगता है कि मंजिल काफी दूर है और इसे पाने के लिए काफी लंबा सफर तय करना होगा। ऐसे में सफर को कई टुकड़ों में बांट लेना काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। आप जानते हैं कि मंजिल दूर है पर इसका मतलब यह तो नहीं की मंजिल की ओर कदम ही न बढ़ाया जाए। 

मंजिल दूर है, इस कारण प्रयत्न न करना पीछे हटने वाली बात है। छोटे व सधे हुए कदमों से अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाएंगे तब सफलता निश्चित है। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि सबसे पहले हमें अपनी मंजिल का पता होना चाहिए। हमें पता होना चाहिए हमारी मंजिल कहां है और फिर बात आती है वहाँ तक पहुंचने की। आज के युवा साथी अपने करियर की मंजिल को लेकर काफी सजग रहते हैं और उन्हें पता रहता है कि वे क्या करना चाहते हैं। 

आज करियर के कई विकल्प भी मौजूद हैं और युवा साथी अपनी मंजिल की तलाश में निकल भी पड़ते हैं पर कई साथी ऐसे भी होते हैं जो मंजिल की ओर उत्साह भरे कदम बढ़ाते जरूर हैं पर बीच में ही सफर समाप्त कर देते हैं और एक नई मंजिल की ओर कदम बढ़ाने लगते हैं। इस कारण उन्हें लगातार असफलता प्राप्त होती रहती है। वे ये नहीं सोच पाते की उनके लिए श्रेष्ठ मंजिल कौन सी है। 

इस कारण जब भी अपनी मंजिल की ओर सधे कदम बढ़ाना हो तब मार्गदर्शन लेने में कोई भी बुराई नहीं बल्कि इससे यह पता चल जाता है कि आखिर उनके लिए क्या श्रेष्ठ है।

Sunday, September 8, 2013

क्या आप में है लव इम्यून सिस्टम.... ?

कहते हैं प्यार कमजोर बनाता है। अनुभव भी यही कहते हैं कि प्यार कमजोर करता है। लेकिन एक महत्वाकांक्षी अध्ययन ने यह सिद्ध किया है कि प्रेम का अपना एक रोग प्रतिरोधक सिस्टम होता है। किसी को आकर्षित करने की ताकत आपको मजबूत बनाती है और आकर्षित होने वाले को भी। 





कहने का मतलब यह कि जब कोई जोड़ा एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होता है तो वह चुनौतियों और समस्याओं से निबटने से लिए (चाहे वह कितनी ही जटिल क्यों न हो) ऐसे लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा तैयार होता है, जिनकी जिंदगी में प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती। 

हमें बागी प्रेमियों की हिन्दी फिल्में याद आती हैं कि किस तरह वे अपने घरवालों से बचते हुए जंगल में जाकर अपना जीवन शुरू करते हैं, बाद की घटनाएं चाहे हकीकत से टकराने और हारने की हों, लेकिन शुरूआत का साहस तो उस अध्ययन के निष्कर्ष को पुष्ट करने वाला ही होता है।
अभी कुछ सालों पहले तक मनोवैज्ञानिक और समाज विज्ञानी दोनों संबंधों के मामले में एक-दूसरे से अलग-अलग राय रखते थे। प्यार करने वाले विद्रोही जोड़े न मनोवैज्ञानिकों को समझ में आते थे और न समाजशास्त्रियों को। 

दोनों यह नहीं समझ पाते थे कि तमाम परेशानियों, बाधाओं और चुनौतियों के बीच आखिरकार दो प्यार करने वाले एक-दूसरे के साथ रहते हुए कैसे बड़ी-से-बड़ी बाधाओं, परेशानियों से टकरा जाते हैं और अपनी किस्मत की लकीरों से भी मुठभेड़ करने से गुरेज नहीं करते। 




दरअसल, अध्ययन में इस बात का पता चला है कि प्यार का अपना एक सुरक्षा तंत्र होता है। इसे 'लव इम्यून सिस्टम' कहते हैं। यह कैसे काम करता है, यह कैसे प्रतिक्रिया करता है? इस संबंध में एक विस्तृत अध्ययन 'पेयर फैम' जर्मनी में हुआ। 

12402 लोगों को इसके लिए चुना गया और उनसे एक-के-बाद सवाल-जवाब किए गए। ये सवाल- जवाब उनके संबंधों से लेकर थे। ये सवाल-जवाब उनके 14 सालों तक के रिश्तों पर किए गए थे.

रेजिलियंस (लचीलापन) दोनों के बीच संकट से निपटने और साथ रहने के मामले में एकमात्र वह शब्द था जिसमें उन्हें हर तरह के संकट से निजात मिली। यह शब्द सभी तरह के कारकों का संगम है। इसमें मजबूती, प्रभावशीलता जैसी सभी चीजें मौजूद हैं। 

हालांकि विज्ञान को अभी वह समीकरण खोजना बाकी है, जो हमारी खुशी का आधार होता है, लेकिन इसी दौरान हम पेयर फैम अध्ययन के कुछ नतीजों पर नजर दौड़ाकर यह जान सकते हैं कि हमें साथ रहने के लिए जमाने भर से टकराने की ताकत कौन देता है? 




पेयर फैम अध्ययन बताता है कि ऐसे दो पार्टनर जो अपना ज्यादातर समय एकसाथ गुजारते हैं, वे ज्यादा खुश होते हैं, उन लोगों के मुकाबले जो एक-दूसरे के साथ उतना नहीं रहते या रह पाते हैं। उनके आपसी संबंध भी ज्यादा मजबूत होते हैं। इन दोनों के बीच घर के काम का बंटवारा भी ईमानदारी से होता है। 

जब आदमी अपने पार्टनर की सफाई करने में मदद करता है और अक्सर खाना भी बनवाता है तो दोनों के बीच रिश्ते बहुत अच्छे होते हैं। जो जोड़े अपना खाली समय साथ बिताते हैं, तो उनके बीच संबंध ज्यादा मजबूत होते हैं। इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं, आपस में जुड़े रहें जिसका साधारण-सा मतलब होता है साथ-साथ काम करें, क्योंकि प्रेम एक गतिविधि है, लेकिन इस अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि प्यार नाम का तत्व किस रहस्यमय तरीके से हमारे इम्यूनिटी को बढ़ा देता है। 




यह अध्ययन इस बात को साबित करता है कि संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण है कि प्यार में तमाम सेटिस्फेक्शन फैक्टर हमें बेडरूम के बाहर हासिल होते हैं, लेकिन एक केंद्रीय भूमिका यह भी है कि सेक्स संबंध हमें ज्यादा नजदीक लाते हैं, और अगर ये संबंध बिना प्रेम के हैं तो हमें दूर भी करते हैं।

हां, लेकिन आगे की राह में थोड़ी मुश्किल होती है, शोधार्थियों ने यह भी पाया कि एक-दूसरे के भावनात्मक रूप से काफी नजदीक आ गए लोग एक-दूसरे पर बहुत गंभीरता से नजर रखते हैं और इससे इनको कई तरह की निराशाएं और दुख हासिल होते हैं। ये निराशाएं कई बार खुली बहस और एक-दूसरे पर दोषारोपण पर जाकर टिकती हैं। इससे उनमें बिछड़ने की स्थिति आ जाती है। आप इसे प्यार का गैर-जरूरी बोझ कह सकते हैं। 




इस समझ का होना कि प्यार कभी भी आदर्श नहीं हो सकता, शायद प्यारभरे लंबे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पूर्व शर्त है। यह शर्त न सिर्फ लंबे प्यारभरे जीवन का आधार है, बल्कि उस नजले-जुकाम के लिए वैक्सीनेशन की तरह है, जो नज़ला प्यार की निराशा का नतीजा होता है। यहीं से प्यार की परीकथाएं शुरू होती हैं।

Wednesday, September 4, 2013

प्यार, जो आंखों से दिल में उतर जाए

ND
एक प्यार करने वाले से पूछा गया कि प्यार क्या होता है? कैसा लगता है? तो उसका जवाब था कि प्यार गेहूं की तरह बंद है, अगर पीस दें तो उजला हो जाएगा, पानी के साथ गूंथ लो तो लचीला हो जाएगा... बस यह लचीलापन ही प्यार है, लचीलापन पूरी तरह समर्पण से आता है, जहां न कोई सीमा है न शर्त। प्यार एक एहसास है, भावना है। प्रेम परंपराएं तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है।

प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आंखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयां करते हैं। और सबसे मजेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहां हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें।
प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें भी हैं -

प्रेम का दार्शनिक पक्ष-
प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।

साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी सामंजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएं तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएं तो मधुर संगीत गूंजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद ज़रूरी है।


प्रेम का पौराणिक पक्ष-
प्रेम के पौराणिक पक्ष को लेकर पहला सवाल यही दिमाग में आता है कि प्रेम किस धरातल पर उपजा-वासना या फिर चाहत....? माना प्रेम में काम का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन महज वासना के दम पर उपजे प्रेम का अंत तलाक ही होता है। जबकि चाहत के रंगों में रंगा प्यार जिंदगीभर बहार बन दिलों में खिलता है, जिसकी महक उम्रभर आपके साथ होती है।

प्रेम का वर्जित क्षेत्र-
सामान्यतः समाज में विवाह के बाद प्रेम संबंध की अनुमति है। दूध के रिश्ते का निर्वाह तो सभी करते हैं, इसके अलावा निकट के सभी रक्त संबंध भी वर्जित क्षेत्र माने जाते हैं, जैसे- चचेरे, ममेरे, मौसेरे, फुफेरे भाई-बहन या मित्र की बहन या पत्नी आदि। किसी बुजुर्ग का किसी किशोरी से प्रेम संबंध भी व्याभिचार की श्रेणी में आता है। ऐसा इसलिए भी है कि एक सामाजिक प्राणी होने के नाते नियमों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य भी है।

इंटरव्यू के लिए खास बातें

कहते हैं 'फर्स्ट इंम्प्रेशन इज़ लास्ट इम्प्रेशन'। किसी जॉब के लिए इंटरव्यू देते समय आपको इन्हीं बातों का ध्यान रखना पड़ता है। आप इंटरव्यू में अपने आपको सही तरीके से प्रस्तुत करेंगे तो आपको जॉब मिलने में आसानी होगी। आइए जानते हैं कुछ इंटरव्यू टिप्स, जिन्हें अपनाकर आप इंटरव्यू में सफल हो सकते हैं।

समय से पहले न पहुचें- समय से पहले पहुंचने पर इंटरव्यूअर पर आपके प्रति नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। समय का पाबंद रहना अच्छा गुण है। इस बात का ध्यान रखें कि आप न देर से पहुचें और न समय से पहले पहुंच कर वहां खाली बैठे रहें। कुछ हायरिंग मैनेजरों को कैंडिडेट्‍स का बिना वजह खाली बैठे रहना पसंद नहीं आता।

हरेक गतिविधि पर नजर- इंटरव्यू देते वक्त आपका ध्यान सिर्फ उसी पर रहता है। इंटरव्यूअर आपसे सवाल-जवाब करने के दौरान आपकी प्रत्येक हलचल पर ध्यान रखता है।कई कंपनियों में तो कैंडिडेट्‍स के व्यवहार को देखने के लिए रिसेप्शन पर कैमरे तक लगाए जाते हैं। हायरिंग मैनेजर इन कैमरों से यह देखते हैं कि आप रिसेप्शनिस्ट और दूसरे इंटरव्यू देने आए प्रतिभागियों से कैसा व्यवहार कर रहे हैं।

बातों को बढ़ा-चढ़ाकर न बोलें- इंटरव्यू के दौरान अनावश्यक न बोलें। आपसे जो सवाल किया जाए, उसी का सीधे तरीके से जवाब दें। कई लोगों की आदत जरूरत से ज्यादा बोलने की होती है। इंटरव्यूवर को इस बात से सख्त नफरत होती है कि आप उसके सवाल का जवाब देने की बजाय इधर- उधर की बातें करें। अगर आप फालतू की बात करेंगे तो यही माना जाएगा कि आपको कुछ पता नहीं है।

सकारात्मक जवाब- इंटरव्यू के दौरान अपने पॉजीटिव एटिट्‍यूट को प्रदर्शित करें। इंटरव्यू के दौरान आपसे चाहे जितने नकारात्मक प्रश्न पूछे जाएं, आप उनका जवाब पॉजीटिव ही दें। इंटरव्यू के दौरान ज्यादा कम्फर्टेबल और फ्रेंडली होने का प्रयास भी न करें।

अपने इम्प्लोयर की न करें आलोचना- आप अपने वर्तमान जॉब से चाहे कितने ही असंतुष्ट क्यों न हों, लेकिन इंटरव्यू के दौरान अपने इम्प्लोयर की किसी भी तरह की आलोचना न करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो इंटरव्यू पैनल में आपके बारे में गलत संदेश जाएगा।

क्या करें कि मनचाही लड़की आपकी हो जाए

हर लड़के की तमन्ना होती है कि उसे एक खूबसूरत लड़की का साथ मिले। एक लड़की का दिल जीतने के लिए अक्सर लड़के ढेरों कोशिश भी करते हैं, लेकिन कई इस काम में असफल भी हो जाते हैं।




अगर आप भी इस बात से निराश है या दुविधा में हैं कि कैसे एक लड़की का दिल जीता जाए? तो इसके लिए हम आपको कुछ आसान से टिप्स दे देते हैं।

लड़की की स्पष्ट छवि

 


सबसे पहले जिस लड़की को पसंद करते हैं उसके स्वभाव, उसकी छवि, पसंद-नापसंद के बारे में पूरी जानकारी इकत्र कर लें। ऐसा न हो, कि लड़की किसी बात को बेहद नापसंद करे और आप वही दोहराते जाएं। इससे आप उसके पास जाने के बजाय उससे दूर होते चले जाएंगे।

विश्वासपात्र और हंसमुख



लड़कियां अक्सर हंसमुख और जिंदादिल स्वभाव वाले लड़कों को ज्यादा पसंद करती हैं। साथ ही उनका विश्वसनीय होना भी जरूरी होता है। इसलिए अगर आप किसी लड़की को पसंद करते हैं तो सबसे पहले उसका भरोसा जीतें और हर हाल में उसे बरकरार रखें। साथ ही हंसी-मजाक भी जरूर करें, लेकिन सीमाओं का विशेष ध्यान रखें।
 
हमेशा सच्चाई को थामे न रहे

 


अक्सर लड़के और लड़कियों की प्यार के मामले में पसंद-नापसंद अलग होती हैं लेकिन अगर आप किसी का साथ चाहते हैं तो कोशिश करें, कि उसकी पसंद-नापंसद से आपका तालमेल बैठ सके। ये सही है कि रिश्ते में सच्चाई रखी जाए, लेकिन कभी किसी का दिल रखने में भी कोई बुराई नहीं है। शुरुआत में ही किसी बात के लिए स्पष्ट तौर पर मना करने से अच्छा है जब कोई आपको पसंद करने लगे, तो कुछ समय बाद सही तरीके से इसके बारे में साफ-साफ बताया जाए।
 
रोमांटिक अंदाज, आकर्षक आगाज



आमतौर पर लड़कियां रोमांटिक अंदाज की दीवानी होती हैं। इसलिए अगर आप उन्हें रोमांटिक गिफ्ट दें, डिनर पर ले जाएं और कुछ नहीं, तो आपका अंदाज-ए-बयां ही बेहद रोमांटिक और लुभावना होगा, तो लड़की को आप पर फिदा होते देर नहीं लगेगी।
 
परिपक्वता से रिश्ता निभाएं

 


किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए सबसे जरूरी है समझदारी। अक्सर लड़कियां प्यार में बड़ी से बड़ी बात तो झेल लेती हैं लेकिन कई बार कोई छोटी-सी बात ही उन्हें बेहद चुभ जाती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप समझदारी से स्थिति को संभालें।

आपकी छिछोरी या बचकाना हरकतें उसका दिल तोड़ सकती है। अपने आप पर और अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखें। अकड़ और शो बाजी के चक्कर में आप उसके दिल में जगह नहीं ले पाएंगे।

लड़की का दिल जीतना है तो परिपक्वता अनिवार्य है वरना बात बिगड़ने के चांसेस ज्यादा हो सकते हैं। इन छोटी-छोटी बातों को अपनाएं और फिर देखिए कि कैसे मनचाही लड़की आपकी दीवानी हो जाती है।

नए आयडिया ही दिलवाएंगे सफलता....

काम में सफलता को हमेशा ही इस बात से जोड़ा जाता है कि आपके ज्ञान का स्तर क्या है, आप कितने कुशल हैं और अपने काम में कितने नए आइडियाज लाते हैं।


दिमाग कहता है कि हमें नौकरी के लिए अपने ज्ञान व कौशल को बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जब तक हम नए-नए आयडिया नहीं लगाएंगे हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे और इस बढ़ती प्रतियोगिता के दौर में हम पिछड़ जाएंगे। तो चलिए बात करते हैं ऐसे ही कुछ आयडिया के बारे में, जिनसे सफलता हासिल की जा सकती है।

क्या आप अपनी नौकरी की एकरसता में दिमागी कसरत करना भूल गए हैं? असल में आपके शरीर की तरह आपको दिमाग को भी कसरत की जरूरत है। इसलिए चुनौतियां स्वीकार कीजिए और समस्याओं को हल करने में इसे लगाइए।

लेकिन बस कसरत से काम नहीं चलेगा, आपको दिमाग को खुराक भी देनी पड़ेगी। इसके लिए आपको बहुत सी किताबें पढ़नी चाहिए। सफल व्यवसायियों व उद्यमियों के बारे में पढ़ना होगा। जीवन में कड़ी मेहनत करके सफलता पानेलवाले लोगों की आत्मकथाएं पढ़िए। इससे न सिर्फ दिमाग जागरूक बनेगा बल्कि प्रेरणा भी मिलेगी।

अपने दिमाग में कौंधने वाले विचारों को लिख लीजिए। जब भी आपके दिमाग में कोई अच्छा सा आइडिया आए आप यह मत सोचिए कि यह तो आपके दिमाग में हमेशा ही रहेगा अच्छा तो यह होगा कि आप उसे नोटबुक में लिख लें। रात में नोटबुक अपने बिस्तर के पास ही रखिए पता नहीं रात को दो बजे आपको कोई विचार अचानक से आ जाए और आप उसे सुबह तक भूल भी जाएं। याद रखिए इस तरह लिखा हुआ आयडिया आपको कभी भी काम दे सकता है पर इसे जल्दी से जल्दी इस्तेमाल करने का प्रयास करें। क्योंकि आयडिया तो गरम चाय की तरह होते हैं ठंडा होने पर उनका महत्व नहीं रह जाता। फ्रेश आयडियाज को जितना आप काम में लेंगे उतनी ही आपके काम में ताजगी आएगी।

जगह में बदलाव से भी बहुत परिवर्तन आते हैं। जब आप ऑफिस में अपनी सीट पर होते हैं तो आपका दिमाग एक ही दिशा में चलता है और आप कुछ नया सोचने में असमर्थ हो जाते हैं। और यह भी सच है कि जैसे ही आप स्थान बदलते हैं कुछ नए विचार आपके दिमाग में आते हैं। और अगर यदि आप जगह नहीं बदल सकते तो अपना लैपटॉप लेकर ऑफिस के बगीचे में बैठ सकते हैं।

आप चाहें तो कैफेटेरिया में बैठें और नई योजनाओं के बारे में सोचें। टहलने के दौरान या जिम में भी सोच सकते हैं। जब आपका शरीर किसी ताल पर काम करता है तो दिमाग ज्यादा एकाग्र हो जाता है तो जब भी व्यायाम करें या जागिंग करें तो इस बात का फायदा जरूर उठाएं। जगह बदलने से जो भी आपके अंदर होगा वह बाहर जरूर आएगा यह तो तय है।

कुछ लोग लंच टाइम में बगीचे में बैठकर अपना पसंदीदा संगीत सुनते हैं और नए आयडिया के साथ अपनी सीट पर लौटते हैं। आप लैपटॉप नहीं रखते तो नोटबुक तो ले ही जा सकते हैं। जो भी बातें मन में आएं उन्हें लिख लीजिए फिर बाद में उन्हें अच्छी तरह से जमा लीजिए। आपका बाहर जाकर बैठना तब भी फायदेमंद हो सकता है जब कार्यालय में आपके आस-पास कुछ न कुछ शोरगुल होता रहता हो।

दूसरों की मदद करना भी आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। जब किसी दूसरे विषय का व्यक्ति का आपसे मदद मांगे तो यह नहीं कहें कि यह मेरा क्षेत्र नहीं है। इस तरह की मदद से ऑफिस में अच्छा वातावरण तो बनता ही है साथ ही आपका ज्ञान भी बढ़ता है और दिमाग की कसरत होती है। फिर जब आपको काम पड़ता है तो लोग भी आपकी मदद को तैयार रहते हैं। जिनकी मदद आपने की है वक्त पड़ने पर आप उनसे कोई नए सुझाव तो ले ही सकते हैं।

यदि आप लोगों की मदद नहीं करते हैं तो आपने अपने आपको और अपने ज्ञान को एक सीमा में बांध लिया है। जब लोगों को आपके विशेष ज्ञान की जरूरत हो तो उनकी मदद करें। जो लोग ऑफिस में नए-नए नियुक्त हुए हों उनकी मदद अवश्य करें, एक तो उनको आपकी जरूरत है और दूसरे आपको उनसे नए आयडिया मिल सकते हैं। वे कार्यालय के लिए नए हैं इसलिए हो सकता है कि वे ऐसे दृष्टिकोण से समस्याओं को देखें जिस तरह से आप कभी सोच ही न पाए हों। वे एकदम नए होने के कारण पिटे-पिटाए तरीके से नहीं सोचते।

सकारात्मक सोच से ही मिलेगी सफलता

किसी व्यक्ति की जैसी सोच होती है, उसी के मुताबिक काम की दिशा तय होती है। विचार करने की सही दिशा भविष्य को संवारने में निर्णायक होती है। वैचारिक शक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी है। विचारशील व्यक्ति ही महत्वपूर्ण योजनाएं बनाकर सफलता प्राप्त करते हैं। विचार करके जिस दिशा में भी कदम रखेंगे, उसमें मजबूती होगी। सही विचार के लिए जरूरी है सकारात्मक सोच। यदि सोच सकारात्मक है तो आधी लड़ाई तो समझो जीत ली।


मनुष्य को किसी भी कार्य करने के लिए विचारों की आवश्यकता पड़ती है। बिना विचार किए लिया गया निर्णय कभी भी अपेक्षित परिणाम नहीं देगा। प्रत्येक व्यक्ति चाहे गरीब हो या अमीर, शिक्षित हो या अशिक्षित, विचार जरूर करता है। व्यक्ति की सोच के अनुरूप ही कार्य की दिशातय होती है। विचार करने की सही दिशा भविष्य को संवारने में निर्णायक होती है। वैचारिक शक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी है। विचारशील व्यक्ति ही महत्वपूर्ण योजनाएं बनाकर सफलता प्राप्त करते हैं। विचार करके जिस दिशा में भी कदम रखेंगे, उसमें मजबूती होगी।

जीवन का दृष्टिकोण बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं विचार। अच्छे विचारों को ग्रहण करने तथा बुरे विचारों को निकाल फेंकने के लिए दृढ़ निश्चय की आवश्यकता है। असफलता तथा निराशा रूपी विचार मन में होना सुख-समृद्धि के विरुद्ध है। इसलिए मन में सदा उत्साह बनाए रखिए और निरंतर सुख-समृद्धि की कामना करते रहिए। मन विचार रूपी खेत है। उसमें जैसे बीज डालेंगे वैसी ही फसल कटेगी। समृद्धि के बीज बोएंगे तो समृद्धि काटेंगे और निराशा के बीज बोएंगे तो असफलता ही हासिल होगी। विचार निराशाजनक नहीं होने चाहिए। उसमें साहस, विश्वास तथा आशा का संगम होना चाहिए।

विचारों को सबसे अधिक ताकत सकारात्मक सोच से मिलती है। सकारात्मक सोच से काम करने की दिशा सही होगी। न भटकाव होगा, न ठहराव। विचारों को सही दिशा देने के लिए इन बातों पर गौर करना जरूरी है।

सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर ही विचार प्रकट कीजिए। नकारात्मक चिंतन वाला व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तिरस्कार का भाजन बनता है। उससे मिलने में किसी को प्रसन्नाता नहीं होती है।

आशावादी विचारों को मन में रखकर निरंतर दोहराते रहिए। आप स्वयं महसूस करेंगे कि कदम सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।

** प्यार में इन बातों का रखें विशेष ध्यान **

हर प्रेमी/प्रेमिका को अपने साथी में प्रत्येक समय एक विशेष छबि नजर आती है जिसे लेकर वह हमेशा ही साथ घूमते रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके पार्टनर को इस तरह से रहना चाहिए या फलां कपड़े इस पर ज्यादा फबेंगे।

इनमें से कुछ-कुछ बातों में या अधिकांश में तो व्यक्ति परिवर्तन स्वीकार कर लेता है लेकिन कहीं-कहीं उसे यह हस्तक्षेप अपने निजी जीवन में खलल डालने वाला लगता है जिसे वह बिल्कुल सहन नहीं कर पाता और चाहकर भी इसमें बदलाव लाना नहीं चाहता।

इतना पजेसिव होकर या कहें इतनी आकांक्षा पालना अपने साथी के प्रति ज्यादती होगी। क्योंकि यह अपनी-अपनी पसंद का सवाल होता है। कुछ जगह पर तो आपका साथ आपकी बातों से सहमत हो सकता है लेकिन सभी दूर हो ऐसा तो किसी के भी साथ संभव नहीं। थोड़ा समझौता करते हुए आपको भी उसे ऐसे ही हालातों में चाहना होगा जैसे कि वह है। ऐसी परिस्थिति मानव होने के नाते प्रेमी/प्रेमिका, पति-पत्नी सभी के सामने आ खड़ी होती हैं। यहां इसे हम अपनी कमी कह सकते हैं जिस पर हमारा वश नहीं चलता।

ऐसी स्थिति में आप अपने साथी को बदलने की कोशिश न करना ही रिश्तों के लिए बेहतर होता है। तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ अनछुए पहलुओं को।

समय के साथ थोड़ा ढल जाएं
जब आपका रिश्ता नया-नया होता है तो इसमें ढेरों औपचारिकताएं शामिल होती हैं। जैसे घंटों फोन पर बात करना, एक दूसरे का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखना। डेट वगैरह पर समय पर न पहुंचने पर माफी मांग लेना आदि या किसी तरह से पटा लेना।

वक्त बीतने पर जब सामंजस्य बढ़ जाता है तब ये उम्मीद कम कर देना चाहिए। यहां पर इस रूप में ले लें‍ कि इस रिश्ते में थोड़ा गाढ़ापन आने पर इन औपचारिकताओं को विशेष जरूरत नहीं रहे। ऐसी बातें भी दोनों ओर से हो सकती हैं।

दिल का सहारा भी लें
तारीफ सुनना हर व्यक्ति को अच्छा लगता है, लेकिन ‍शुरू-शुरू रिश्ते की तुलना में जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ यदि इसमें तीव्र गिरावट आने पर ‍विशेष चिंतित न हों। ना ही शुरू की बातों को लेकर तानाकशी करें कि पहले तो ऐसा कहा करते थे अब क्या हो गया आदि। एक-दूसरे की तारीफ नहीं कर पाते या किसी चीज पर ध्यान देने के बजाय व्यस्तता का हवाला देते हुए कुछ चीजों पर ध्यान न जाए। इन चीजों को मुंह से कहने सुनने की बजाय यहां दिल का सहारा लें।

अपेक्षाएँ होती हैं अलग-अलग
शारीरिक आकर्षण तो एक प्राकृतिक लक्षण हैं जिससे कोई भी परे नहीं रह पाया है। हमारे समाज में कुछ नियमों को संस्कार का रूप दिया है जिसे कई बार युवा वर्ग अपनाने से मना कर देते हैं इसका मतलब ये नहीं को आप एक-दूसरे से सिर्फ शारीरिक आकर्षण के कारण जुड़े हैं। यदि आप इन नियमों का पालन करना चाहते हैं तो यह आप पर निर्भर करता है कि नाराज होने के बजाय प्यार से मझाएं। दैहिक संबंध से परे एक और चीज बहुत महत्वपूर्ण होती है वो है स्पर्श जो उसे प्रियतमा के दैहिक आकर्षण से परे अपनत्व का एहसास दिलाएगा।

एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें
अपनी सारी भावनाएँ दूसरों के सामने जाहिर न करें। अगर उन्हें किसी बात से नाराजगी भी होती है तो वे उसे सबके सामने जाहिर न करें। इसका आप दोनों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी छोटी-सी बात पर या बेवजह बहुत तेज गुस्सा आता है और ऐसी स्थिति में आपसी संबंधों में दरार पड़ने तक की नौबत आ जाती है।

अगर आप दोनों के संबंधों में कभी ऐसी स्थिति आए तो उसे सुधारने के मामले में आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इसलिए जिस समय आपके साथी को गुस्सा आ रहा हो तो उस वक्त आप उसे कुछ न कहें। बाद में जब उसका गुस्सा शांत हो जाए तब आप उसे प्यार से समझाएँ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप अपने साथी को नाराज होने का मौका नहीं दें।

इस तरह अगर आप अपने साथी को समझने की कोशिश करेंगे तो निश्चित रूप से आपके संबंध मधुर बने रहेंगे।

* कैसा जीवनसाथी चाहते हैं आज के युवा? *

युवा होते ही नवयुवक-नवयुवती सपनों में खोने लगते हैं। एक तो युवावस्था का जोश, दूसरा उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा। हर नवयुवक-नवयुवती की कामना रहती है कि उसका होने वाला जीवनसाथी सर्वगुण संपन्न हो, किंतु ऐसा हो पाना कतई संभव नहीं है। हर एक में कुछ-न-कुछ कमी जरूर होती है। अंग्रेजी में एक कहावत है कि Man is imperfect यानी कि आदमी अपूर्ण है। अगर वह 'पूर्ण' हो गया तो भगवान हो जाएगा।


 

कैसा हो दूल्हा?

लड़कियां ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं जिस पर उसे गर्व हो, न कि शर्म। लड़कियां लड़कों में रंग-रूप न देखकर उसके वै‍यक्तिक गुणों को देखती हैं जिससे आपसी समन्वय, तालमेल में दिक्कत न हो। लड़का देखने के पहले लड़की के परिजन लड़के वाले के खानदान, आमदनी, लड़के के रंगरूप, व्यवहार, बोलचाल के ढंग आदि को जरूर देखकर तुलना करते हैं कि लड़की से लड़के का तालमेल बैठेगा या नहीं।

सिर्फ अमीर घर देखकर लड़की का विवाह कर दिया जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि कई अमीर घराने में भी लड़कियों को दहेज को लेकर सताने की बातें सामने आई हैं। लड़कियां कंजूस, मक्खीचूस तथा तंगदिल लड़कों को कतई पसंद नहीं करती हैं तथा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होना हर लड़की को पसंद आता है।

खुले विचारों वाले नवयुवकों को य‍ु‍वतियां पसंद करती हैं। कमाऊ युवक ही युवतियों को भाते हैं। पत्नी की कमाई पर अपना खर्चा चलाने वाले युवक युवतियों को पसंद नहीं।

लड़कियां उन लड़कों को सर्वाधिक पसंद करती हैं, जो नारी तथा उसकी अस्मिता का सम्मान करना जानते हैं। हंसने-हंसाने वाले नवयुवकों को ही लड़कियां ज्यादा पसंद करती हैं। आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी, उत्तम भाव, आंखें आदि नवयुवकों के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं, जो लड़कियों को लुभाते हैं।

लड़कियां ऐसे लड़कों को भी पसंद करती हैं, जो अवगुणी न हो तथा किसी प्रकार के नशे की गिरफ्त में न हो तथा पत्नी को दासी के रूप में नहीं, बल्कि दोस्त के रूप में देखता हो।


 

कैसी हो दुल्हन?

लड़के अपनी जीवनसंगिनी के रूप में सुंदर, सुशील तथा आकर्षक देहयष्टि वाली लड़की चाहते हैं। अधिकतर नौजवान आज के अं‍तरिक्ष-युग में भी परंपरावादी लड़कियों को ही पसंद करते हैं। लड़के खुद भले ही लाख आधुनिक ढंग से रहते हों, पर वे अपनी गृह स्वामिनी परंपरागत भारतीय गरिमानुसार ही चाहते हैं।


अधिकतर लड़के जीवनसंगिनी के रूप में समाज की ही लड़की को पसंद करते हैं, क्योंकि समाज की लड़की होने से उनमें एक प्रकार का सुरक्षा-बोध होता है। दो परिवारों का मिलन तो होता ही है, पीढ़ी-दर- पीढ़ी रिश्ते भी मजबूत होते जाते हैं।

लड़का भले ही लाख आधुनिक हो, पर उसके मन के कोने में यह भाव भी रहा करता है कि मेरी होने वाली जीवनसंगिनी मुझसे कुछ कम उम्र की हो, छोटी हो व मुझसे थोड़ी दबकर भी रहे।

बदलते समय के हिसाब से तो ऐसा हो पाना कठिन है, क्योंकि लड़कियों में भी जागृति आ गई है। वे अब पुरुषों के पैरों की जूती नहीं, बल्कि बराबरी की हकदार हैं। लड़के अधिकतर ऐसी जीवनसंगिनी चाहते हैं, जो पति के साथ ही उसके माता-पिता की भी सेवा कर सके।

वैसे संयुक्त परिवार तो अब लगभग नहीं के बराबर ही देखने को मिल रहे हैं। एकल परिवारों की बढ़ती संख्‍या के कारण अब सारे घरेलू काम नवदं‍पति को करने पड़ते हैं। ऐसे में एकल परिवार की महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में नवयुवक-युवतियों को चाहिए कि वे एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना जीवन-यापन करें व छोटी-मोटी बातों को नजरअंदाज कर अपना पारिवारिक जीवन सुखी व संपन्न बनाएं।

* SMS पर कैसे करें प्यार, बरतें 6 सावधानियां .....

प्रेम की अभिव्यक्ति के कई तरीके हो सकते हैं। खासतौर पर सूचना क्रांति के इस दौर में जब हजारों-लाखों किमी दूर रहते हुए, एक-दूसरे से रूबरू बातचीत हो सकती हो। तो क्या हुआ कि पोस्टकार्ड की जगह एसएमएस और चिट्ठी की जगह ई-मेल ने ले ली हो। हाँ, इन साधनों के प्रयोग के लिए थोड़ी सावधानी की जरूरत है। अपने प्रेमी या पति या फिर पत्नी या प्रेमिका को प्यारभरा एसएमएस करने से पहले इन 6 चीजों का हमेशा ध्यान रखें।






1 क्या कहना है?

एसएमएस में आजकल संक्षिप्त भाषा का चलन है, लेकिन ऐसी भाषा का क्या मतलब जो समझ में ही न आए या फिर जो अनर्थ कर दें। अत: इसमें संक्षिप्त शब्दों के प्रयोग से बचें। अगर बात सेक्स से संबंधित हो तो शॉर्ट फॉर्म के बजाय पूरी स्पेलिंग लिखें। इससे भावनाएं अधिक प्रबलता से पंहुचती हैं।
 


2 कब कहना है?

जब आपके पति या फिर प्रेमी या फिर पत्नी या प्रेमिका काम कर रहे हों या फिर किसी मीटिंग में व्यस्त हों तो न तो वे आपके संदेश का अर्थ ठीक से ग्रहण कर पाएंगे और न ही इसका पूरा मजा उठा पाएंगे। अच्छा तो यह रहेगा कि आप ऐसे समय पर एसएमएस करें, जिसमें या तो वे लंच पर हों या फिर कम्प्यूटर पर हों। साथ ही मैसेज बैक करने में बहुत ज्यादा जल्दबाजी भी न दिखाएं। अगर एसएमएस सेक्सी हो तब तो फुर्ती दिखाएं लेकिन यदि रोमांटिक हो तो थोड़ा स्पेस लीजिए ताकि पार्टनर की बेकरारी और बढ़ें।
 


3 कितना कहना है?

मैसेज जितना छोटा होगा, उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा। लंबे-लंबे और उपदेशात्मक मैसेज पढ़ना किसी को भी नहीं भाता, इसलिए कोशिश करें कि कम शब्दों और पूरी स्पेलिंग में अपनी बात कहें। दो टूक बात लड़कों को पसंद आती है जबकि लड़कियां लंबे मैसेज का मतलब सीधा प्यार से निकालती है। नया-नया प्यार हो तो छोटे मैसेज कभी ना करें।

4 कैसे कहना है?

यह बात हमेशा ध्यान रखें कि सेल फोन यंत्र है। यह आपकी हंसी, खुशी, उदासी, गुस्सा या फिर छेड़छाड़ को व्यक्त नहीं कर पाएगा। यह सिर्फ शब्द ही एक से दूसरी जगह पहुंचा सकता है, इसलिए इस पर ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं है। बेहद नाजुक बात हो और एसएमएस में बिगड़ने के चांसेस हो तो उसे भेजना तुरंत कैंसिल करें।

5 बी केयरफुल!

आप इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि मैसेज जिसे भेजा जाना हो, वहीं पहुंचे। इसलिए सेंड को यस करने से पहले एक बार फिर से नंबर चेक कर लें। कहीं ऐसा न हो कि यह वहां पहुंच जाए, जहां आप इसकी भनक भी नहीं देना चाहते हों। या फिर कोई सेक्सी बात आपकी तरफ से किसी रिसपेक्टेड व्यक्ति को चली जाए।

 


6. डिलीट आइटम

अगर आप चुपके-चुपके या छुपकर डेटिंग कर रहे हैं तो बेहतर है कि मैसेज पढ़ते या भेजते ही उसे डिलीट कर दें। यह सबसे जरूरी है। भावनाओं में बहकर उन्हें संभाल कर ना रखें यह कभी भी आपकी मुसीबत बन सकता है।

A little looking back on what we were and are saying

Don't lose your love just because of a slip of the tongue.


A girl in love asked her boyfriend.
Girl: Tell me. Who do you love most in this world?
Boy: You, of course!
Girl: In your heart, what am I to you?
The boy thought for a moment and looked intently in her eyes and said, "You are my rib. It was said that God saw that Adam was lonely, during his sleep, God took one of Adam's rib and created Eve. Every man has been searching for his missing rib, only when you find the woman of your life, you'll no longer feel the lingering ache in your heart."
After their wedding, the couple had a sweet and happy life for a while.


However, the youthful couple began to drift apart due to the busy schedule of life and the never-ending worries of daily problems, their life became mundane.

All the challenges posed by the harsh realities of life began to gnaw away their dreams and love for each other. The couple began to have more quarrels and each quarrel became more heated.

One day, after the quarrel, the girl ran out of the house. At the opposite side of the road, she shouted, "You don't love me!"

The boy hated her childishness and out of impulse, retorted, "Maybe, it was a mistake for us to be together! You were never my missing rib!"

Suddenly, she turned quiet and stood there for a long while. He regretted what he said but words spoken are like thrown away water, you can never take it back. With tears, she went home to pack her things and was determined in breaking-up.
Before she left the house, "If I'm really not your missing rib, please let me go." She continued, "It is less painful this way. Let us go on our separate ways and search for our own partners."
Five years went by...
He never remarried but he had tried to find out about her life indirectly. She had left the country and back. She had married a foreigner and divorced. He felt anguished that she never waited for him.
In the dark and lonely night, he lit his cigarette and felt the lingering ache in his heart. He couldn't bring himself to admit that he was missing her.
One day, they finally met. At the airport, a place where there were many reUNI0Ns and good byes. He was going away on a business trip. She was standing there alone, with just the security door separating them. She smiled at him gently.
Boy: How are you?
Girl: I'm fine. How about you? Have you found your missing rib?
Boy: No.
Girl: I'll be flying to New York in the next flight.
Boy: I'll be back in 2 weeks time. Give me a call when you are back. You know my number. Nothing has changed.
With a smile, she turned around and waved good bye.
Good bye...
One week later, he heard of her death. She had perished in New York, in the event that shocked the world.

Midnight, once again, he lit his cigarette. And like before, he felt the lingering ache in his heart. He finally knew. She was the missing rib that he had carelessly broken.
Sometimes, people say things out of moments of fury. Most often than not, the outcome could be disastrous and detrimental. We vent our frustrations 99% at our loved ones. And even though we know that we ought to "think twice and act wisely", it's often easier said than done.
Things happen each day, many of which are beyond our control. Let us treasure every moment and everyone in our lives.
Tomorrow may never come. Give and accept what you have today.

Aur aage kya hoga pata nahi

Aaj main kuch asa likhna ja rha hu jiska ant jiska end abhi main bhi ni janta bas kuch kagaz or ek kalam utha li hai or apne duk ho se har manker apne aashuo ko shabdo ka rup dekar likhta ja rha hu . jis tharah koi apne mala mai moti ko pirota hai kuch ishi tharah main bhi apne khani ki mala mai shabdo ke moti pirota ja rha hu…

26-8-2013……ek asa din hai jish se phala maine apne jindgi ke un lamho ko kata hai jo ki sirf khane mai , sunne mai , or padhne

Me aashan lgta hai par mai hi janta hu ki kaise maine un dukh bhare lamho palo ko apne beshaki bna kr chalte hua jiya hai. meri life mai aaj tak kbhi aaj tk kuch aisha ni hua ki mai apne life  mai kuch kr sku kuch asa mahsus ni hua ki muje ya aap logo ko lge ki mere jine ka kuch makshad hai kuch iicha hai
Main aapni is jindgi ka ya un lamho ka sara dos bhagwan ko deta rha to kbhi
apne parents ko koshta rha , kbhi kbhi smaj mai aata tha ki nhi ya sab kuch mere hi wajha se ho rha hai par dil manne ko tyar nhi tha or dimag ki kab tak manta kuch bar jab dimag se socha to bhut der ho chuki the . Kuch bhi krne se phalaya krta hua DIMAG MAI bas ek ajib sa dar bna rhta or mai bina apne dimag ki sune kuch na kuch krta hi jata .


jane anjane mai koi na koi galti ho hi jati or mai kisi se us galti ki mafi bhi na mang pata . maan mai ek uljhan se bni rhti jab bhi koi galti sudharne ka koi bhi moka milta to maan mai ek aajib sa dar paida ho jata or mai dimag ki nhi sun pata kyuki maan mai ek lalsa si bni rhti kuch na kuch paane ki or mai apne aakhe band kr kisi anjaani chiz ki taalaash mai batkhta rhata …

maan ki uljhan har waqt kuch bhi krne se rokti rhti or aaj bhi kuch asa hi chal rha hai mere sath har waqt har pal sochta ki ek new life suru kru sab kuch bhula kar par unhe bhulane ke liya bhi koi wajha chahya or wajha ka koi na koi karan jarur hota hai wo karan wo reasion mujhe nazar nahi aa rha tha …..to kabhi dil karta ki sub kuch chod kar apne jindgi ki is ghadi ko rok kar apne samaya ke waqt ke chakarwihu se tyag le kar bhagwan se jakar mulakat kru or un se apne hui gltiyo ki mafi maangu…. lAKIN fir ek ghari soch mai pad jata ki maine itne gunah kiya hai kya mai un sab ki mafi ka haqdar hu ……

bas bhut ho chuka hai jingi mai aane ka ek maksad hota hai or kuch na kuch to krna hi hai jindgi mai ……ye bat sab ke maan mai aati hai mere maan mai bhi aayi thi …. par log khate hai ki jindgi mai kuch paane ke liya kuch khona padta hai mer paas to na khone ke liya kuch tha or na hi paane ke liya koi manzil the mai to bas ek pad se tuta hua paata tha jo hwa ke bhaw mai bhata hi ja rha tha bine apne control ke ek jinda lash ki tharah …….. 


maan mai na to kuch paane ke jigyasa the or na hi kuch khone ka dar tha ….. koi bhi raasta nazar nhi aa rha tha bas kuch uljhANE THI MAAN MAI JINHE SULJHANE KI THAN LI THI MAINE OR ISI LIYA AAJ MERE DWARA UTHAI GAYI IS KALAM OR MERE BICH MAI KOI NI AA SAKTA THA AAJ NA TO MAIN KISI KI FEELINGS KO HURT KRNA CHAHTA HU  OR NA HI KISI KE MAAN KO KISI KE DIL KO CHOT PUCHANA CHATA HU MAI TO BAS EK KHANI LIKHNE JA RHA HU ISE AAP EK KHANI SAMJE YA EK KITAB PAR ISKA END TO MERE SATH HI HOGA VO CHAHE AAJ HO YA KAL YA NA BHI HO YE TO MUJE BHI NI PTA …… PTA HAI TO KUCH YE KI MUJHE Lagta hai ki mere dwara uthai gyi is kalam se na to koi fayda hoga or na hi koi  nuksan bas mujhe or aap logo ko pta lgega ki main galat tha ya wo log jinhe mai aapna samaj kr kuch na kuch krta hi rha un ke liya aaj aapne se hi paraya ho kar mai jindgi ke ek asa mod par khada tha jis par mujhe rasta dikhane wala koi nhi tha usi mod par udte hue is kagaj par mai likhne lga apne dukho ki dastan

dosto aagar mujse likhte hue koi glti ho to mujhe maf jarur kar dena kyuki mai koi writer nhi hu mujhe likhna ni AATA OR NA HI MAI SIKHNA CHAHATA KYUKI US KE LIYA TO DIMAG KI JRURAT PADEGI JO MERE  PAAS NI HAI MAI AAPNE PAHCHAN KO INHI SABDO KE BICH KHI KHO DENA CHAHTA HU TAKI MUJHE KOI DHUND NA SKE  OR MUJSE FIR KOI GUNAH NA HO JAYE MAI TO BAS APNE AASHUNO KO IN SABDO KE SHARE POCH KAR DUKHO KI BESHAKI KE MADAD SE APNE JINDGI KI BAKI BACHA LAMHO KO RAASTA BNA KAR APNE ANT KI MANZIL TAK PAUCHANA CHAHTA HU USE PANA CHAHTA HU ISI LIYA MAI LIKH EHA HU AAPNE YE KHANI OR……